यस आई एम—8 [मेहरा मैंशन]
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अभय और दुबे दोनों डॉक्टर शैलजा सक्सेना के हॉस्पिटल में पहुंच गए। अभय ने डेथ बॉडी को वहां से उठावाया और फॉरेंसिक रिपोर्ट लेकर वहां से सीधा राहुल मेंशन चला गया।
जब वह मेहरा मेसन पहुंचा, उसके साथ दुबे की आंखे भी खुली की खुली रह गई। सामने तीन मंजिला एक भवन खड़ा हुआ था। जो देखने में किसी से कम नहीं था। दुबे ने गेट के ठीक सामने गाड़ी रोकी और वहां खड़े हुए गॉर्ड को हाथ के इशारे से बुलाते हुए बोला। "मिस्टर मेहरा! घर पर है क्या?"
"हां!" गॉर्ड ने सामने बैठे हुए इंस्पेक्टर पर नजर डालते हुए जवाब दिया और फिर इधर उधर देखने लगा।
“क्या देख रहे?” दुबे ने पूछा।
“साहब के लिए कुछ भी नही लाए?” गॉर्ड ने जवाब दिया।
“मै यहां तहकीकात के लिए आया हूं फंक्शन में नही।” दुबे ने तपाक से जवाब दिया।
"उनसे मिलना है।" दुबे ने दोनों के बीच में आते हुए कहा।
"साहब अभी नही मिल सकते।" गॉर्ड ने बड़े बेकार तरीके से जवाब दिया।
काफी देर से चुप बैठा हुआ अभय बोला। "उन्हें कहो कि अर्जेंट काम है। हमें राहुल मेहरा के बारे में बात करनी है।" अभय की आवाज में गुस्सा साफ झलक रहा था। गॉर्ड अभय के रवैए से घबरा गया और कुछ सोचते हुए सीधा अंदर चला गया। वह कुछ देर बाद बाहर आया और आते ही गेट खोल दिया।
दुबे जीप को सीधा अंदर ले गया। उसकी आंखे गॉर्ड के किए हुए इशारे का पीछा करती हुई पार्किंग एरिया तक पहुंच गई। दुबे ने जीप को पार्किंग एरिया में पार्क किया और अभय के साथ चला गया। दोनों मेंशन के मुख्य दरवाजे पर जाकर खड़े हो गए। दुबे वहां से चला गया। दरवाजे पर एक बॉडी गॉर्ड खड़ा हुआ था।
मेहरा मेसन के मेन गेट के दोनों ओर बगीचा बना हुआ था, उसी बगीचे में से होती हुई सड़क मेन गेट को मेसन के गेट से जोड़ रही थी।
“आपको अंदर बुलाया है।” एक गॉर्ड ने दरवाजा खोलते ही कहा। दूबे के आते ही अभय वहां से चल दिया। दुबे भी उसके पीछे पीछे हो लिया। गॉर्ड ने उन दोनों को अपने साथ अंदर चलने का इशारा किया और दोनों आलीशान गलियारे से होते हुए सीधा मिस्टर मेहरा के कमरे में चले गए।
"कमाल है! ज्यादातर बिजनेस मैन ऑफिस में ही मिलते है मतलब ऑफिस में होते है। मिलते तो कभी नही।" दुबे ने फुसफुसाते हुए कहा। अभय ने उसे सुन कर भी अनसुना कर दिया।
अंदर जाते ही उन्होंने देखा कि मिस्टर मेहरा एक रौबदार व्यक्तित्व के मालिक थे। जो कमरे में बने हुए सोफे पर बैठे हुए थे। अभय के कमरे में जाते ही उन्होंने बैठने का इशारा किया और अभय उनके ठीक सामने वाले सोफे पर बैठ गया।
मिस्टर मेहरा ने उठ कर अपना हाथ आगे बढ़ाया, जिसके जवाब में अभय ने भी गर्मजोशी के साथ उनका हाथ थाम लिया। हाथ मिलाने के बाद अभय सोफे पर बैठ गया और दुबे पास में ही खड़ा हो गया।
"बड़ा नाम सुना है इंस्पेक्टर अभय आपका।" मिस्टर मेहरा ने गंभीर आवाज में कहा।
"जी! ऐसा कुछ भी नही है। मै तो बस अपनी ड्यूटी करता हूं बाकि तो भगवान की मेहरबानी है।" अभय ने अपने चिर परिचित अंदाज में जवाब दिया।
"सच में कमाल का ऑफिसर है। वरना आज के पहले के ऑफिसर मेरे तलवे चाटने के लिए क्या क्या नही करते। पर इस ऑफिसर का रूतबा और बोलने का अंदाज दोनों ही निराले है।" मिस्टर मेहरा ने मन ही मन सोचा और फिर बात को आगे बढ़ाते हुए बोले। "वैसे इन्स्पेक्टर जी! आपने यहां आने का कष्ट क्यों किया? हमें ही बुलवा लेते।"
"आपके इस बड़प्पन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया मिस्टर मेहरा। पर बात ही कुछ ऐसी थी कि मुझे खुद चल कर यहां आना पड़ा। अगर छोटा मोटा काम होता तो मै आपको ही सीधा पुलिस स्टेशन बुलवाता " इतना कहकर अभय ने तनते हुए अपनी एक टांग दूसरी टांग के ऊपर रख ली।
"ऐसा क्या जरूरी काम आ गया, जो आपको सीधा हमारे इस गरीब खाने में आना पड़ा।" मिस्टर मेहरा की बात सुनकर दुबे फुसफुसाते हुए बोला। "अगर ये गरीब खाना है तो हर कोई इस गरीब खाने में रहना चाहेगा।" दुबे ने अभय का इशारा समझ कर फॉरेंसिक रिपोर्ट दोनों के बीच में रखी हुई कांच की मेज के ऊपर रख दी।
मिस्टर मेहरा ने एक बार रिपोर्ट को देखा और एक बार अभय को।
“खोल कर देखिए।” अभय ने उसकी शंका दूर करते हुए कहा।
मिस्टर मेहरा ने रिपोर्ट को उठाया और उसे पढ़ने लगा। पढ़ते वक्त उसके चेहरे के भाव में तनिक भी बदलाव नहीं आया। उसने रिपोर्ट पढ़ने के बाद सीधा मेज के ऊपर रख दी और फिर पहले की तरह बैठ गया।
"आप इस सीधा मेरे पास लाए बड़ा अच्छा किया।" मिस्टर मेहरा ने सपाट भाव से कहा। अभय कुछ पूछ पाता उस से पहले ही मिस्टर मेहरा बोल पड़े। "भगवान ऐसी औलाद किसी को ना दे।" मिस्टर मेहरा की आवाज में दर्द साफ झलक रहा था।
अभय फटी हुई आंखो से मिस्टर मेहरा को देखने लगा। उसकी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। जिसे समझते हुए मिस्टर मेहरा आगे बोले। "आप से क्या छिपाना इंस्पेक्टर? आप तो सब अच्छे से जानते ही है कि राहुल मेरा एकलौता बेटा है। पर वो कभी भी मेरी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। मै हमेशा से चाहता था कि वो एक शरीफ और सज्जन बिसनेस मैन बने। पर वह उस दुनियां में गया जहां से लौटना नामुमकिन था। मेरी कोई भी कोशिश उसे वापिस नही ला पाई।"
"इसमें आपकी कोई गलती नही। आपने तो पूरी कोशिश की।" दुबे ने मिस्टर मेहरा से प्रभावित होते हुए कहा।
मेहरा दुबे को अजीब तरीके देखते हुए बोला। “मेरी ही गलती है या मेरे पिछले जन्म के कर्मों का फल। तभी तो ऐसा बेटा मिला।”
"आप खुद को तकलीफ और दोष मत दीजिए।" अभय ने मिस्टर मेहरा के चेहरे पर आए भावों के पीछे छिपे हुए अनगिनत भावों को समझने की कोशिश करते हुए कहा। ना जाने अभय को शरीफ और सज्जन से दिखने वाले मिस्टर मेहरा में कुछ तो अजीब लग रहा था जिसे वह समझ नही पा रहा था।
“बच्चों की कामयाबी के पीछे मां बाप का हाथ होता है। उनकी नाकामयाबी के पीछे भी उन्ही का हाथ हुआ हैं। हमें अच्छे और बुरे दोनों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।” मिस्टर मेहरा ने समझाते हुए बताया।
"वैसे राहुल के ऊपर बहुत सारे केस फाइल है। जिसमें रेप केस भी शामिल था।" अभय ने तहकिकात करते हुए पूछा। मेहर उसे अजीब तरीके से देखने लगा। अभय अपना लहजा बदलते हुए बोला। "देखिए मेहरा जी! इस केस की जड़े अंडर वर्ल्ड से भी जुड़ी हुई हो सकती है इसलिए इसके किसी भी पहलू को छोड़ा नहीं जा सकता। प्लीज आप कोप्रेट कीजिए। ये मेरी ड्यूटी का ही एक हिस्सा है।"
"मै समझता हूं!" मिस्टर मेहरा ने सामान्य होते हुए जवाब दिया और फिर आगे बोले। "कह सकते है। मुझे अपने बेटे के बारे में पता था। पर कहते है बेटा मां का लाडला होता है। मिसेज मेहरा ने उसे बचा लिया और हर बार उन्ही की वजह से मुझे उसे बचाना पड़ा।"
"आपका जंगल के पास बना हुआ बार भी सील हो गया है। वहां से भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद हुई है।" अभय ने बम फोड़ते हुए बताया। जिसका क्षणिक असर मिस्टर मेहरा के चेहरे पर दिखाई दिया। परंतु अभय की तेज नजरों से वह बच नहीं पाया।
“बार में ड्रग्स ऐसा कैसे हो सकता है? मुझे लगा था कि राहुल सुधर गया और अपने काम पर ध्यान देने लगा। पर ऐसा करेगा इसकी मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी।" मिस्टर मेहरा ने दांत पीसते हुए अपनी बात कही।
“मीडिया को इस बारे में पता चले उससे पहले आपको इस बारे में पता होना चाहिए। मीडिया बात को कहां से कहां ले जाती है आपको मालूम ही होगा।” अभय ने मेहरा को अपनी बातों में लेते हुए कहा।
"आपने बहुत अच्छा किया जो इस बारे में पहले मुझे बता दिया। वैसे अगर ये मर्डर भी होता तो मै अपने बेटे के कत्ल को एक्सीडेंट का नाम ही देता।" इतना सुनकर अभय उन्हें अजीब निगाहों से देखने लगा। जवाब में मिस्टर मेहरा आगे बोले। "मेरी बीवी को एक्सीडेंट ही बताना। वो अपने बेटे से बहुत प्यार करती है। अब मै अपनी बीवी को नहीं खोना चाहता। मेरा मतलब यह था कि उसे ड्रग्स या फिर उस से जुड़े हुई किसी भी चीज के बारे में नही बताइएगा।"
"ठीक है!" अभय ने सपाट भाव से जवाब दिया।
“बाहर भी किसी को मत बताइएगा। वरना मेरा बना बनाया नाम मिट्टी में मिल जाएगा। उम्मीद करता हूं कि आप मेरी बात समझ रहे होंगे।" मिस्टर मेहरा ने विनती करते हुए कहा।
"ठीक है। मै आपकी इज्जत का पूरा ध्यान रखूंगा।" अभय ने आश्वासन देते हुए कहा और दुबे को बाहर भेज दिया। दुबे बाहर जाकर गॉर्ड के साथ राहुल मेहरा की लाश को ले आया।
बुलाए जाने पर मिसेज मेहरा वही आ गई और सामने पड़ी हुई लाश को देखकर किसी अनहोनी की आशंका में घुटनों के बल जमीन पर गिर गई। मिस्टर मेहरा अपनी पत्नी से इतना प्यार क्यों करते है वह उन्हें देखते ही समझ गया। सुंदरता में वह युवतियों को भी मात देती दिखाई दे रही थी।
मिसेज मेहरा अपनी जगह से से खड़ी हुई और धीरे धीरे लाश की ओर बढ़ने लगी। जैसे ही उन्होने लाश के चेहरे से कपड़ा हटाया, वह झटका खा कर अपनी जगह से थोड़ा सा पीछे की ओर खिसक गई और फुट फुट कर रोने लगी। मिस्टर मेहरा ने बड़ी मुश्किल से अपनी बीवी को संभाला और इशारों ही इशारों में अभय को वहां से जाने की विनती की। वहां की स्थिती और हालात को समझकर अभय दुबे को लेकर वहां से लेकर बाहर चला गया।
बगीचे में आकर अभय ने दुबे को जीप लेने भेज दिया और कुछ सोचने लगा। थोड़ी देर बाद दुबे जीप लेकर आ गया और अभय उसमें बैठ गया। जीप मेहरा मेसन से बाहर आ गई। दुबे जीप को सड़क पर दौड़ते हुए बोला। "मिस्टर मेहरा जी आदत में कितने अच्छे थे। वरना बड़े बड़े बिजनेस मैन अकडू होते है।"
"मुझे नही लगे।" अभय से सपाट भाव के साथ अपनी बात कही।
"आप भी हर किसी को शक की नजरों से ही देखते हो।" दुबे ने दुःखी होते हुए कहा। वह मिस्टर मेहरा से काफी प्रभावित हुआ था।
"शक करके सबूत ढूंढना ही हमारा काम होता है दुबे जी!" अभय ने जी को खींचते हुए कहा और फिर आगे बोला। "बाकि आगे चल कर देखते है, क्या होता है क्या नही?" जवाब में दुबे ने गर्दन हिला दी और फिर आगे बोला। "मिसेज मेहरा को लेकर आपका क्या कहना है सर?"
"अभी उन्हें ध्यान से नही देखा। आगे कभी मुलाकात होगी तो पता चल जाएगा। उनकी गति विधियों पर भी ध्यान रखो।" कह कर अभय चुप हो गया और मिसेज मेहरा के चेहरे को याद करने लगा। उसे वह चेहरा कही तो देखा हुआ लग रहा था। जो इस वक्त उसे याद नही आ रहा था। सुशील सी दिखने वाली मिसेज मेहरा अपनी शराफत के पीछे बहुत कुछ छिपाए हुए बैठी थी।
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जारी रहेगी...मुझे मालूम है आप सभी समीक्षा कर सकते है बस एक बार कोशिश तो कीजिए 🤗❤️
hema mohril
25-Sep-2023 03:23 PM
V nice
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Barsha🖤👑
01-Feb-2022 09:11 PM
Nice part
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Shalu
07-Jan-2022 02:01 PM
Niceeee
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